कटान पीड़ित अपना आशियाना तोड़ बंधे पर जाने को हुए मजबूर

बलिया, संजय कुमार तिवारी : बैरिया तहसील क्षेत्र के गोपाल नगर टांडी गांव में घाघरा नदी का कटान जारी है जिससे कटान पीड़ितो का पचास से अधिक मकान नदी के कटान से विलीन हो गई है नदी के कटान से कटान पीड़ित अपना आशियाना तोड़कर बंधे पर जाने को मजबूर हो गए है और इस बार कटान पीड़ित कटान की डर से दिवाली नही मनाई है। कटान पीडोतों का आरोप है कि इस बार आई बाढ़ में अधिकारी से लेकर नेता तक देखने के लिए नही आए है जो बाढ़ विभाग के द्वारा बोल्डर से कार्य किया गया था वह भी नदी के बीचों बीच चला गया है।

बलिया के बैरिया तहसील क्षेत्र के गोपाल नगर टांडी गांव में सरकार द्वारा घाघरा नदी से गांवों को बचाने के लिए भले ठोकर का निर्माण करा रही हों लेकिन घाघरा नदी में बनाई गई ठोकर कटान के चलते बेअसर हो गई है।नदी लगातार कटान कर रही है इस बार सरकार गांवों को बचाने का प्रयास किया था लेकिन अधिकारियों की लापरवाही और अपने चहेतों को ठेकेदार बनाकर घाघरा नदी में ठोकर बनाने का काम दिया था।जिसके बाद ठोकर घाघरा नदी के बीचों बीच चली गई है और डेढ़ सौ मीटर नदी के अंदर जाने से गांवों का अस्तित्व समाप्त होने के कगार पर है। क्योंकि इस बार घाघरा नदी में लगभग पचास से अधिक मकान घाघरा नदी में विलीन हो गई है।नदी के कटान के कारण बाढ़ पीड़ित अपने बने बनाए आशियाने को तोड़कर बंधे का सहारा लेने के लिए मजबूर हो गए है। इस बार कटान पीडितों ने बताया कि इस बार की दिवाली हम लोग नही मना पाए है।क्योंकि इतना डर लग रहा है कि कब नदी हमारा मकान नदी में समा जायेगी कोई नही जनता। इस लिए हम लोग लगातार अपने मकान को तोड़ रहे है।

वही वीरेंद्र यादव ने बताया कि घाघरा नदी की स्थिति बहुत खराब चल रही है घाघरा नदी का कटान लगभग एक माह से अधिक दिनों से चला रहा है और नदी कटान कर रही है इस लिए मकान को तोड़कर हटा रहे है जो भी बच जाए।पचास से अधिक मकान तोड़ दिया गया है और अभी पचास मकान तोड़ना है सभी लोग धीरे धीरे हटा रहे है सरकार की तरफ से कोई जमीन उपलब्ध नहीं है दूसरे से जमीन मांग रहे है कि भाई अपना सामान रखने के लिए हमे जमीन दीजिए बाद में सरकार से हम जमीन उपलब्ध हो जायेगी तो हम लोग हटा लेंगे।नही तो बेबसी में गुजारा करेंगे। बीस दिन जो अभी समय गुजारा है उस दौरान कोई अधिकारी अभी तक नही आया है और नेता भी नही आया है और नही बाढ़ विभाग का कोई भी अधिकारी आया है। बाढ़ विभाग के द्वारा जो काम कराया गया लेकिन उससे बाढ़ रुकने वाला नही था जो काम हुआ था लगभग डेढ़ सौ मीटर नदी के अंदर चला गया है और नदी का को कटान है वह भी धीरे धीरे बढ़ता ही जा रहा है कही न कही मजबूरी में व्यवस्था करना ही पड़ेगा।

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बाइट – वीरेंद्र यादव कटान पीड़ित।

हालांकि कटान पीड़ित वृद्ध महिला ने बताया कि कटान के चलते हम लोग अपना मकान को तोड़ रहे है क्योंकि घाघरा नदी का कटान से हम लोग परेशान है नही घर बचा नही खेत बचा की कोई खाने के लिए कोई सामान बचा है ऐसी हालात अब तक नही आई थी जब हमारे पुरखे पुरानिया थे तब आया था हम लोग इस बार दिवाली तक नही मनाए।क्योंकि हम लोगों के पास अपना मकान नही था और घाघरा नदी के परेशानी से हम लोग दिवाली नही मना पाए कुछ है हो नही तो कैसे मनाएं। पहले तो कोई आता भी था लेकिन अब तो कोई नही आ रहा है।

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